क्या आप Best Motivational Story in Hindi सर्च कर रहे हैं? तो आप बिलकुल सही जगह पर आएं हैं! ये २ मेंढको की कहानी है, जो आपको मोटीवेट करेगी।
ये कहानी है, दो मेंढकों की, जिसमें एक पतला था और दूसरा मोटा। दोनों जंगल के एक तालाब में साथ रहा करते थे। बचपन के दोस्त थे दोनों, साथ में ही खेलते, कूदते बड़े हुए थे।
वो दोनों दिन भर तालाब में, खेलते, उछलते, गप्पे मारते और मस्ती किया करते थे। उन दोनों को ही तालाब के पास के इलाके में नयी-नयी जगहों में जाकर घूमना अच्छा लगता था।
एक दिन ऐसे ही साथ में घूमते हुए दोनों, जंगल के बहार एक खेत में पोहंच गए। वहां उनहों ने देखा की, एक ग्वाला, अपने गाये से दूध निकाल रहा था। उन्होंने कभी भी, किसि को इस तरह दूध निकालते हुए नहीं देखा था। ग्वाले ने दूध निकाल कर, एक बाल्टी में भर कर रख दिया।
वो दोनों उस दूध को देख कर बड़े आश्चर्य थे, क्योँकि उनहोंने आज से पहले यह कभी नहीं देखा था। उनहोंने तो जंगल में सिर्फ तलाब का गन्दा पानी ही देखा था।
कुछ देर सोचने के बाद, उन दोनों नहीं डिसाइट किया, कि इस सफेत पानी में तेरने का मजा ही कुछ होगा, यह सोचकर उन दोनों ने एक साथ बाल्टी में चलांग लगा दी।
वहां जाकर वो देखते हैं, अरे वाह, सपेत पानी, हमने तो यह कभी देखा ही नहीं, यह क्या चीज होती हैं? दोनों को मजे करने तो पसंद थे ही, वे दोनों वही मस्ती करने लग जाते हैं।
वो कभी तैरते हैं, कभी वो गोता मार रहे होते हैं, खूब उछल-कूद करने के बाद, पुरे मजे करने के बाद, वो मोटा वाला मेंढक कहता है “चल यार अब घर जाने का टाइम हो गया, जंगल वापस चलते हैं”
फिर वो पतला मेंढक कहता है “हाँ! यार, चल वापस चलते हैं।” फिर वो दोनों बाल्टी से छलांग लगाने की कोसिस करते हैं, पर वो बाल्टी बोहत बड़ी होती है, वो छलांग लगा नहीं पाते।
वो दोनों बाल्टी के किनारे जाकर, बाल्टी के दीवारों से छलांग लगाने की कोसिस करते हैं, पर वो देखते हैं की वहां बोहत फिसलन है।
वो जब भी कूदने की कोशिस करते हैं, उनके पैर फिसल जाते हैं। उन्होंने लगातार कई बार कोशिस किया, कभी बाल्टी के बिच से, तो कभी बाल्टी के किनारे, लेकिन दूध के चिकनाहट, और उसकी फिसलन की वजह से, वो बाल्टी से बहार नहीं निकल पा रहे थे।
Best Motivational Story in Hindi
अब जो वो पतला वाला मेंढक होता है, वो मोटे मेंढक को बोलता है ” भाई देख! निकलना तो है हमे इस बाल्टी से बहार, इसीलिए हमे कोसिस तो करती रेहनी पड़ेगी, पर हमने बोहत बार कोसिस करके देख ली, इसीलिए अब मुझे लगता है, हम खुद तो इस बाल्टी से बाहार निकल नहीं पाएंगे, क्योँकि यहाँ बोहत ज्यादा फिसलन है।”
“तो हम क्या करते हैं, हम तैरते रहते हैं, अगर हम तैरते रहेंगे तो कोई-न-कोई हमे आकर बाल्टी से बहार निकाल ही देगा। “
मोटा मेंढक उस पतले वाले मेंढक की बात को मान लेता है, और वो दोनों तैरते रहते हैं। यहाँ तक की बोहत समय बीत गया लेकिन उनको निकल ने के लिए कोई भी नहीं आया।
जो मोटा मेंढक होता है, वो तैरते तैरते थक जाता है, वो कहता है “भाई! अब में और पैर नहीं चला पाउँगा, कई घंटो से तैरते-तैरते में थक चूका हूँ। ”
वो पतला मेंढक कहता है “भाई देख, अगर तू पैर चलना बंद करदेगा तो तू डूब जायेगा और कुछ देर में साँसे रुक जाएँगी और तू मर जायेगा, हमको मरना नहीं है, तू पैर चलता रह।”
वो मोटा मेंढक थोड़ी देर और पैर चलता है,फिर कहता है “भाई देख, हमने बोहत साथ दिया एक दूसरे का, हम दोनों बचपन के दोस्त हैं, आपस में बोहत मस्ती किये, हमेसा साथ रहे। लेकिन मुझे लगता है की आज ये सब ख़त्म होने वाला है, आज हो सकता है ये मेरे ज़िन्दगी का आखिरी दिन हो।
में और म्हनत नहीं कर सकता, में और पैर नहीं चला सकता और अब शायद में डूब कर मर जाऊंगा।” उस पतले मेंढक के आँखों के सामने उसका वो बचपन का दोस्त, डूब कर मर जाता है। ये सब देख के वो पतला मेंढक और तेजी से पैर चलाने लगता है बी।
उसके अंदर ये आग लग जाती है के कैसे भी करके मुझे इस बाल्टी से बहार निकलना है, मुझे हार नहीं माननी, अगर मेने हार मान ली तो में भी मर जाऊंगा।
उसकी आँखों से आंसू निकल रहे है, लेकिन वो तेजी से पैर चलाता रहता है, लेकिन हम सब जानते है की अगर घोड़े देर तक दूध को चलाया जाए, तो उसमें से माखन बहार आने लग जाता है।
और बिलकुल ऐसा ही हुआ, क्योँकि कई घंटो से वो दोनों मेंढक, उस दूध में पैर चला रहे होते है, इसीलिए उस दूध से मक्खन बाहार आने लग जाता है। साथ ही कुछ घंटे से रखे रहने की वजह से दूध कुछ जमने भी लगता है।
दूध के जमने और मक्खन के बाहार आ जाने से तो मेंढक देखता है के दूध थोड़ा घड़ा से हो गया है, अब वो पहले जैसा चिप-चीपा नहीं रहा।
अब वो मेंढक माखन के ऊपर बेथ के जोर से छलांग मरता है, और बाल्टी के बहार आजाता है। बाल्टी के बहार आने के कुछ देर तक तो उसे ये समझ में नहीं आता, की आज उसके साथ किया हुआ?
उसका सबसे अच्छा दोस्त, उसका बचपन का यार आज उसके ही आँखों के सामने ड़ूब कर मर गया, और उसकी मौत क्योँ हुयी? क्योँकि उसने हार मान लिया था।
अगर वो भी थोड़ी देर तक और पैर चलाता होता और हार न मानता तो वो आज ज़िंदा होता।
वो पतला मेंढक बहार निकलने के बाद जंगल जाता है, जंगल में जाने के कुछ दिनों बाद वो शादी करलेता है। शादी के बाद उसके बचे होते हैं।
अपने उन बचो का नाम अपने उस मोटे दोस्त के नाम पर रखता है, और अपने बच्चों को रोज शाम को एहि कहानी सुनाता है।
के कैसे वो दोनों बोहत अच्छे दोस्त हुआ थे, और बोहत मस्ती किया करते थे और हर जगह घूमना पसंद करते थे। और उसने अपने बच्चों को उस दिन की बातें भी बताई, जिस दिन वो दोनों दूध के बाल्टी में गिरे थे।
फिर वो मेंढक बोलता है अपने बच्चों से “में भी तुमको एहि बताना चाहता हूँ के कभी भी हार नहीं मानना। अगर तुमने हार मानली तो तुम्हारा भी वही हशर होगा जो मेरे दोस्त का हुआ।”
Moral Of The Story – Best Motivational Story in Hindi
तो दोस्तों! इस कहानी से हम ये सिख सकते हैं की, दूध का दही जरूर बनेगा, लेकिन उसमें वक़्त लगता है। और अगर हमने वक़्त से पहले हार मानली, तो हमारा भी वही हाल हो सकता है।
हो सकता है, हमें ज़िन्दगी में अभी तक वो सब न मिला हो जो हम चाहते हैं। लाइफ में मिलता उनिह को है, जो कभी हार नहीं मानते।
क्या आपको Best Motivational Story in Hindi पसंद आया? तो जरूर 5 रेटिंग देकर जाएं।
Keep patience, you will be Successful.