इस Short Moral Story in Hindi में आपको एक नाओ वाले और एक बुसिनेस्स मेन के बीचमें हुयी बातें बताई गयी है, हुए वो बातें क्या है? चलिए पढ़ते है!
एक बार, एक बोहत बड़ा बिज़नेसमेन, छोटे से गाँव में जाता है। उसका प्लान होता है की उस गाँव में एक फैक्ट्री लगनी है। वो एक ऐसी जगह तक पोहंच जाता है, जहाँ पर उसके सामने नदी होती है, और उसपार गाँव होता है।
अब उसके पास में 2 ऑप्शंस ही होते हैं, एक के वो सड़क के रास्ते से घूम करके उस गाँव में पोंहचे, जिसमें करीब करीब 8 घंटे लगेंगे, क्योँकि कोई डायरेक्ट रास्ता नहीं है, वहां तक पोहचने के लिए।
उस बिज़नेसमेन के पास दूसरा ऑप्शन ये होता है के वो सिर्फ 20 मिनट्स में एक नाओ में बैठ करके उस नदी को पार करके उस गाँव में पोहंच जायेगा।
तो वो अपना टाइम बचाने के लिए, उसने उस नाव में बैठने का डिसीजन लिआ। वो नाव बोहत ही चोटी सी थी। जिसमें एक तरफ एक आद्धीं बैटा था, जोकि नाव चला रहा था और दूसरी तरफ ये बिज़नेसमेन बैठा हुआ था।
नाओ में बैठने के थोड़ी ही देर बात उस बिज़नेसमेन ने उस नाओ वाले से पूछा “तुझे पता है, तेरे नाओ में कौन बैठा है?” तो नाओ वाले ने बड़े ही भोले पन से, हाथ जोड़ करके कहा “नहीं साहब, मुझे नहीं पता आप कौन हैं?“
तो वो बिज़नेसमेन बोलै “अरे तू अखबार नहीं पड़ता है क्या?” हर दूसरे दिन मेरी फोटो आती है, अखबार में। तो वो नाओ वाला बोलै “अरे साहब मुझे कहाँ पढ़ना लिखना आता है!, में बोहत छोटा सा था जब मेरे पिता जी गुजर गए थे, तो अपने परिवार का ध्यान रखने के लिए बचपन से ही काम में लग गया, और तभी मेरा स्कूल छूट गया “
ये सुन करके उस बिज़नेसमेन ने उसका मजाख उडाते हूए उसको कहा, “तुझे पढ़ना, लिखना तक नहीं आता है, ऐसी जिन्दिगी का क्या फायदा?” ये सुन करके उस नाव वाले को बुरा तो लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
तोड़ी देर बाद उस बिज़नेसमेन ने उस नाव वाले से बोला “अभी कुछ दिन बाद ये जो सामने तु जमीन देख रहा है, यहाँ पर मेरी एक पहुत बढ़ी फैक्ट्री होगी, जहाँ पर हमारे ब्रांड की मिनरल्स वाटर की बॉटल्स बनेंगी।”
उस नाओ वाले को बात समझ में नहीं आयी, उसने कहा “क्या बनेगा साहब?” वो बिज़नेसमेन थोड़ा सा इर्रिटेट होके बोलै “हमारे यहाँ पर पानी की बोतले बनेंगी, तेरे गाँव में नहीं बिकेगी, लेकिन शहर में बोहत बिकती है।“
अरे कभी तू सेहर गया होगा, तो तूने देखि होगी, पानी की बोतलें रखी होती हैं दुकानों पर। उस नाओ वाले ने काहा “मुझे कैसे पता होगा साहब, में तो कभी गाँव से बहार गया ही नहीं”
उस बिज़नेसमेन ने उसकी बात सुनके, उस पर हँसते हुए बोला “तू कभी भी इस गाँव से बहार तक नहीं गया? तुझे पता ही नहीं के सेहर क्या होता!“ ऐसी ज़िन्दगी का क्या फायदा?
उसकी यह बाद सुन कर, उस नाव वाले को सचमे लगने लगा, कि मेरी जिन्दिगी, शायद किसी काम की नहीं है उसकी इस सोच की वजह से, उसका ध्यान नाओ से हटा। तभी उस नाओ की टक्कर हो गयी, एक बड़े से पत्थर से।
जिसकी वजह से नाओ में पानी भरने लगा, और नाओ डूबने लगी।
उस जगह पर पानी बोहत ही गहरा था, और किनारा दूर था। नाओ वाले को समझ आगया, अब इस नाओ को बचने का कोई तरीका नहीं है। और वोअपनी जान बचने के लिए नदी में छलांग मरने ही वाला था, तभी उसने उस बिज़नेसमेन से पूछा “साहब आपको तैरना तो आता हैए?”
तो बिज़नेसमेन घबरा करके बोला “ऐसा क्यो पूछ रहे हो? मुझे तैरना नहीं आता” उसकी बात सुनके नाओ वाले को हंसी आ गयी। फिर वो बोला “अरे साहब, आपको तैरना तक नहीं आता” ऐसी ज़िन्दगी का क्या फायदा।
ये सुन कर बिज़नेसमेन को अपने गलती का अहसास हुआ, और वो हाथ जोड़के उस नाओ वाले से बोला “तुम जो कहोगे में तुम्हे दूंगा, बस मेरी जान बचा लो” तो उस नाओ वाले ने बोला “अरे साहब घबराओ नहीं, मुझे सिर्फ तैरना नहीं आता है, बल्कि मुझे डूबता हुए लोगों को बचाना भी आता है”
आप मुझे कसके पकड़लो, में आपको कुछ नहीं होने दूंगा। और फिर उस नाओ वाले ने न सिर्फ अपनी बल्कि उस बिज़नेसमेन की जान बचायी।
मोरल ऑफ़ स्टोरी – Short Moral Story in Hindi
तो इस कहानी से हम बोहत बड़ी सिख ले सकते हैं,"ज़िन्दगी में कभी भी, किसी का भी मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए, या उसको अपने से कम नही समझना चाहिए, क्योँकि हमें नहीं पता के हमें कब, कहाँ,कैसे, किसकी जरुरत पड़ जाये।"