Best Motivational Kahani in Hindi for Students

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Motivational Kahani in Hindi for Students

आज की कहानी “Motivational Kahani in Hindi for Students” के लिए बेहतर सिख प्रोवाइड करेगी।

2 Motivational Kahani in Hindi for Students

एक मकड़ी ने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा कि इस जाले मे खूब कीड़ें, मक्खियाँ फंसेगे और मै उन्हें आहार बनाकर मजे से रहूंगी। उसने कमरे के एक कोने में जाला बुनना शुरू किया ।

तभी अचानक उसकी नजर बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी । मकड़ी को गुस्सा आ गया लेकिन बिल्ली बोली- हँसूं नही तो क्या करूं, यहाँ मक्खियाँ नही हैं।

यहाँ कौन आएगा तेरे जाले में? बात मकड़ी के गले उतर गई । उसने अच्छी सलाह के लिए बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी। उसने खिड़की में जाला बुनना शुरू किया। तभी एक चिड़िया आई और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली- अरे मकड़ी! तू भी कितनी बेवकूफ है।

a strong wind blows through the window

अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है। तू तो अपने जाले के साथ ही उड़ जाएगी। मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगी, और वह वहाँ भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहाँ नाला बनाया जाए। तभी उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना जाला बुनना शुरू किया।

कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरी नजरों से देख रहा था । बोला- अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आई। यह तो बेकार की आलमारी है। अभी यह यहाँ पड़ी है।

कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जाएगा तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी। यह सुनकर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा। बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी।

उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता । उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया । चींटी बोली- मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी, तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देतीं।

और जो लोग ऐसा करते हैं, उनकी यही हालत होती है । और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही ।

दूसरों का बात अगर सुनते रहोगे, तो खुदका कब सुनोगे?

घास और बांस – Motivational story for students

एक व्यापारी था, किसी कारणवश उसका बिजनेस पूरी तरह डूब गया और वो पूरी तरह हताश हो गया। वह अपने जीवन से बुरी तरह थक चुका था। एक दिन परेशान होकर वह जंगल में गया और काफी देर वहां अकेला बैठा रहा।

कुछ सोचकर भगवान से बोला- ‘मैं हार चुका हूं, मुझे कोई एक वजह बताइए कि मैं क्यों न हताश होऊं, मेरा सब कुछ खत्म हो चुका है . भगवान ने जवाब दिया, तुम जंगल में इस घास और बांस के पेड़ को देखो, जब मैंने घास और इस बांस के बीज को लगाया, मैंने दोनों की देखभाल की।

बराबर पानी दिया, बराबर प्रकाश दिया . घास बहुत जल्दी बड़ी होने लगी और इसने धरती को हरा-भरा कर दिया, लेकिन बांस का बीज बड़ा नहीं हुआ. लेकिन मैंने बांस के लिए अपनी हिम्मत नहीं हारी. दूसरे साल, घास और घनी हो गई।

bamboo trees

उस पर झाड़ियां आने लगीं, लेकिन बांस का बीज वैसा कै वैसा ही रहा. लेकिन मैंने फिर भी बांस के बीज के लिए हिम्मत नहीं हारी. तीसरे साल भी बांस के बीज में कोई वृद्धि नहीं हुई, लेकिन मित्र मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी।

चौथे साल भी कुछ नहीं हुआ, लेकिन मैं लगा रहा. 5 साल बाद, उस बांस के बीज से एक छोटा-सा पौधा अंकुरित हुआ। घास की तुलना में यह बहुत छोटा और कमजोर था लेकिन केवल 6 महीने बाद यह छोटा-सा पौधा 100 फीट लंबा हो गया. मैंने बांस की जड़ को इतना बड़ा करने के लिए 5 साल का समय लगाया।

इन 5 वर्षों में इसकी जड़ इतनी मजबूत हो गई कि 100 फिट ऊंचे बांस को संभाल सके।

सीख : जब भी जीवन में संघर्ष करना पड़े तो समझिए कि आपकी जड़ मजबूत हो रही है . संघर्ष आपको मजबूत बना रहा है जिससे कि आप आने वाले कल को सबसे बेहतरीन बना सको. किसी दूसरे से अपनी तुलना मत करो.

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