Introduction
इस पोस्ट में आपको Short Story in Hindi with Moral के साथ मिलेगा। ये कहानी है एक ईमानदार शख्स की, कैसे लोग उसके ईमानदारी पहचाने? चलिए देखते हैं।
आपकी बड़ी कमज़ोरी – short story in Hindi
एक वक्त की बात है, एक बहुत बड़ी कंपनी थी और वह कंपनी बहुत ही घाटे में चल रही थी। इस बात से उसे कंपनी का मालिक और उस कंपनी के सारे एम्पलाइज बहुत परेशान थे। क्योंकि जब कंपनी की तरक्की नहीं हो रही थी, तो उनकी भी तरक्की नहीं हो पा रही थी।
अब उस कंपनी के सारे लोग इस बात से परेशान थे, कि आखिर किस वजह से हमारी कंपनी की तरक्की रुक सी गई है! सारे लोग उस वजह को ढूंढने में लगे थे। तो एक दिन उस कंपनी के मालिक ने, सभी एम्पलाइज की टेबल पर एक लैटर रख दिया।
जब सारी एम्पलाइज ने उस लेटर को खोलकर देखा तो उस लेटर में लिखा हुआ था कि ” इतने दिनों से जो हमारे कंपनी की तरक्की नहीं हो पा रही थी, इसका वजह हमारी ही कंपनी का एक इंसान था। जिसकी आज डेथ हो चुकी है, और हम सब लोग उस इंसान के फ्यूनरल पर अभी जा रहे हैं, सारे लोग रेडी हो जाओ।
जब सारी एम्पलाइज ने वह लेटर पढ़ा तो एम्पलाइज को खुशी तो बहुत हुई, कि जिस इंसान की वजह से हमारी कंपनी की तरक्की नहीं हो पा रही थी, अब वह इंसान इस दुनिया में नहीं रहा, और अब हमारी कंपनी फिर से तरक्की करने लगेगी।
लेकिन वह सारे लोग थोड़ा दुखी भी हुए की जो भी था तो हमारी कंपनी का इंसान और आज उसकी डेथ हो चुकी है। तो उस कंपनी के मालिक ने सारी एम्पलाइज को एक जगह जमा किया, और वह सब मिलकर उस इंसान के फ्यूनरल पर गए। और वहां पर एक बड़ा सा हाल था, और उस हाल के बीच में एक कॉफिन रखा हुआ था।
अब उस कंपनी के सारे एम्पलाइज एक-एक करके उस कॉफिन के पास जा रहे थे, और उस इंसान को देख रहे थे, सारे एम्पलाइज यह देखने के लिए एक्ससिटेड थे, कि आखिर वह इंसान कौन था!
तो जब एक-एक करके सारी एम्पलाइज उस कॉफिन के अंदर देख रहे थे, तो सारे हैरान हो जा रहे थे। उस कॉफिन में कोई इंसान नहीं था, बल्कि उस कॉफिन में एक मिरर रखा हुआ था। जिसमें उन सारे एम्पलाइज को अपनी ही शक्ल नजर आ रही थी।
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि हमारी जिंदगी में हम जिस भी पोजीशन पर है, वह हम किसी और की वजह से नहीं, बल्कि अपनी खुद की ही वजह से हैं।
हम बहुत सी बार अपनी परिस्थितियों को दोष देते हैं, मजबूरी को दोष देते हैं। लेकिन हम यह नहीं सोचते हैं कि आज हम जो मजबूर है, यह आज हम पर जो हालात है, वह भी हमारी खुद की ही वजह से है।
हम हमेशा अपने काम को कल पर टालते रहते हैं, काम करने का भी मूड नहीं है। यह सब बहाने देकर हम खुद को ही कभी आगे बढ़ने नहीं देते हैं। अगर हम अपने काम में अपना 100% नहीं देंगे, तो हमारी तरक्की कभी नहीं हो सकती।
सपने तो हम बहुत बड़े-बड़े देख लेते हैं, लेकिन बाद में हमें खुद पर ही शक होने लगता है, कि क्या यह मेरे सपने सच हो पाएंगे? क्या मैं इन सपनों को सच कर पाऊंगा? यह शक हमारे दिल में इसीलिए पैदा होता है, क्योंकि हमें खुद पता होता है, कि मैं अपना सारा दिन, किन चीजों पर लगा रहा हूं।
हमें रोज रात में, गिलट महसूस होता है कि मैं आज का दिन भी बर्बाद कर दिया, वेस्ट कर दिया और काम के नाम पर कुछ नहीं किया। अगर आप भी चाहते हो कि आपको गिल्ट महसूस ना हो, तो आपको उन बहानो को साइड में रखकर, अपने काम पर फोकस करना पड़ेगा।
वो कहते हैं ना की, मेहनत इतनी खामोशी से करो, की कामयाबी शोर मचा दे।
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ईमानदारी का इनाम – Short Story in Hindi with Moral
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक किसान राम नामक व्यक्ति रहता था। राम मेहनत और ईमानदारी के लिए जाना जाता था। उसके पास एक छोटी सी जमीन थी जिस पर वह विभिन्न फसलें उगाता था।
एक दिन, जब वह अपनी खेती कर रहा था, उसने ज़मीन पर एक छोटी सी पर्स पाई। वह उसे उठाकर खोला और अंदर बोहत ज्यादा पैसे मिले। राम हैरान था और उसे यह नहीं पता था कि क्या करें। उसे पता था कि पैसे उसके नहीं हैं, लेकिन उसे रखने का मन था।
बहुत सोच-विचार के बाद, राम ने गांव में पर्स के बारे में पूछने का फैसला किया। वह गाँव के बाजार गया और यहां-वहां पूछा कि, किसी के पर्स का नुकसान हुआ है क्या। लेकिन कोई नहीं मांगा। राम को अनुमान था कि पर्स का मालिक शायद गांव से नहीं हो सकता था।
राम ने आस पास शहर में जाकर पूछताछ करने का फैसला लिया। वह शहर गया और लोगों से पूछा कि किसी के पर्स का नुकसान हुआ है क्या। कई घंटों तक मालिक की तलाश करने के बाद, उसने आखिरकार एक बूढ़ी महिला को ढूंढा जिसने कहा कि वह अपना पर्स गांव से होते हुए खो दिया था।
बूढ़ी महिला पर्स को देखकर खुश हुई। उसने राम का धन्यवाद किया और उसकी ईमानदारी के लिए एक इनाम पेश किया। लेकिन राम ने शिष्टाचार से इनाम को इनकार कर दिया और कहा, “माता जी, यह मेरा कर्तव्य है कि मैं वापस करूँ जो मेरा नहीं है। दूसरों की मदद करना अपना अपना इनाम है।”
राम की ईमानदारी की खबर शहर में फैल गई और सभी उसकी अच्छी तरह से प्रशंसा करने लगे। राम की ईमानदारी ने उसे समुदाय में सम्मानित व्यक्ति बना दिया।
कहानी का सिद्धांत है कि ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है। चाहे कितना ही आकर्षक क्यों न हो, कुछ ऐसी चीज रखने का, जो हमारी नहीं है, सही चीज करना और उसे उसके सही मालिक को वापस करना महत्वपूर्ण है। ईमानदारी न केवल सम्मान प्राप्त करती है, बल्कि इससे आत्मिक संतुष्टि और मन की शांति मिलती है।
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