Zindagi Badalne Wali Kahani (Life-Changing)

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Zindagi Badalne Wali Kahani

ये Zindagi Badalne Wali Kahani अगर आपने पूरा पढ़ा, तो आप ज़िन्दगी का बोहत अच्छा लेशन सीखेंगे। ऐसा लेशन जो आपको, हमेसा काम आएगा।

ये है Zindagi Badalne Wali Kahani

एक बार, एक बच्चे ने अपने पापा से पूछा, कि पापा मेरे लाइफ की क्या वैल्यू है? तभी उसके पापा ने कहा अगर तुम सच में अपनी जिंदगी का कीमत समझना चाहते हो, तो मैं तुम्हें एक पत्थर देता हूं, इस पत्थर को लेकर मार्केट में चले जाना।

अगर कोई उस पत्थर की कीमत पूछे, तो कुछ मत कहना, बस अपने दो उंगली दिखा देना। फिर वह लड़का मार्केट गया और कुछ देर तो ऐसे ही बैठा रहा।

लेकिन कुछ देर बाद ही, एक बूढी औरत उसके पास आई और उस पत्थर का कीमत पूछने लगी। वह लड़का एकदम चुप रहा, उसने कुछ नहीं कहा, और अपनी दो उंगलियां दिखा दी। 

तभी वह बूढी औरत बोली सिर्फ ₹200 ठीक है मैं यह पत्थर तुमसे खरीद लुंगी। वह बच्चा एकदम से shocked हो गया, वह सोचने लगा की एक पत्थर की कीमत ₹200! जो की पत्थर जनरली कहीं पर भी मिल जाते हैं, लेकिन उसका प्राइस ₹200 .

वह तुरंत अपने पापा के पास गया और बोला मुझे मार्केट में एक बूढी औरत मिली थी, और इस पत्थर के ₹200 देने के लिए तैयार थी। फिर उसके पापा ने कहा इस बार तुम इस पत्थर को म्यूजियम में लेकर जाना, और अगर कोई इसकी कीमत पूछे तो उसको कुछ मत कहना, बस अपनी दो उंगली खड़ी कर देना। 

an empty museum

फिर वह लड़का एक म्यूजियम में गया और वहां पर एक आदमी की नजर उसे पत्थर पर पड़ी, उसने और तभी उसने उसे पत्थर की कीमत पूछी। जैसा कि उसके बाप ने कहा था कि कुछ मत कहना वैसा ही हो चुप रहा, और अपने दो उंगली खड़े कर दिए। 

तभी वह आदमी बोला, ₹20000? ठीक है! मैं तुम्हें इस पत्थर के ₹20000 देने के लिए तैयार हूं। यह पत्थर तुम मुझे दे दो, लड़का फिर से चौंक गया और जाकर अपने पापा से कहा ” पापा म्यूजियम में मुझे एक आदमी मिला था और वह इस पत्थर के 20000 देने के लिए तैयार है”

तभी उसके पापा ने कहा ” अब मैं तुम्हें आखिरी जगह भेजने जा रहा हूं, अब तुम्हें जाना है एक कीमती पत्थरों के दुकान पर” भी कोई इसकी कीमत पूछे तो कुछ मत कहना बस अपने दो उंगलियां खड़ा कर देना। वह लड़का जल्दी से कीमती पत्थरों के दुकान पर गया,

precious stone shop

और उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी था, जो काउंटर के पीछे खड़ा था, जैसे ही उसे बूढ़े इंसान की नजर उसे पत्थर पर पड़ी वह एकदम Shocked हो गया। वह जल्दी से काउंटर से बाहर निकाला और उसे बच्चों के हाथ से पत्थर छुड़ा लिया। 

और बोला ” OMG! इस पत्थर की तलाश में मैंने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी” फिर बोल कहां से मिला यह पत्थर और इसकी कीमत कितनी है? कितना लोगे तुम इस पत्थर के लिए?

वह बच्चा तब भी चुप रहा, और अपनी दो उंगलियां खड़ी कर दी। तभी वह बूढ़ा आदमी बोला “कितने दो लाख रुपए? ठीक है मैं इसके लिए तुम्हें ₹2,00,000 देने के लिए तैयार हूं तुम प्लीज मुझे यह पत्थर दे दो”

उसे बच्चों को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, वह जल्दी से अपने पापा के पास पहुंचा और बोला ” पापा वो बूढ़ा आदमी इसके लिए ₹2,00,000 देने के लिए तैयार है” तभी उसके पापा ने कहा “क्या तुम अब समझे अपने लाइफ की वैल्यू (कीमत)?” 

आपकी लाइफ की वैल्यू इस बात पर डिपेंड करती है कि आप अपने आप को कहां रखते हैं, यह आपको डिसाइड करना है आपको 200 रुपए का पत्थर बनना है या फिर 2 लख रुपए का पत्थर बनना है। 

जिंदगी में कई सारे ऐसे लोग होते हैं, जो आपसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, उनके लिए आप सब कुछ हैं। और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आपको सिर्फ एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल करेंगे। उनके लिए आप कुछ भी नहीं हो। 

यह आपके ऊपर डिपेंड करता है, कि आपकी लाइफ की वैल्यू क्या होगी?

एक रेस – Zindagi Badalne Wali Kahani

Zindagi Badalne Wali Kahani

यह कहानी है एक सिद्धार्थ नाम के एक लड़के की, जिसे दौड़ने का बहुत शौक था। वह कई मैराथन में हिस्सा भी ले चुका था, लेकिन कुछ प्रॉब्लम्स के वजह से वह किसी भी दौड़ को पूरा नहीं कर पाया था। 

एक दिन उसने अपने आप से या वादा किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, इस बार के मैराथन में वह अपना दौड़ जरूर पूरा करेगा। उसने मैराथन में भाग लिया और कुछ देर बाद रेस शुरू भी हो गई। 

सभी एथलीट्स तेजी से दौड़ रहे थे और उनके साथ-साथ सिद्धार्थ भी दौड़ रहा था। लेकिन कुछ समय बाद सिद्धार्थ की सांस फूलने लगते हैंऔर वह थक् कर रुक जाता है। वह देखता है कि सारे एथलीट्स उसे बहुत आगे निकल चुके हैं! 

फिर उसे वह बात याद आती है कि मेने तो अपने आप से, रेस पूरा करने का वादा किया है। फिर सिद्धार्थ अपने मन में सोचता है कि अगर मैं दौड़ नहीं सकता तो क्या हुआ! कम से कम चल तो सकता हूं। 

और फिर उसने वैसा ही किया। वह धीरे-धीरे चलने लगा वह आगे जरूर बढ़ रहा था, लेकिन फिनिशिंग लाइन अभी भी बहुत दूर थी। अब वह एक बार फिर से बहुत ज्यादा थक गया और अचानक से नीचे गिर गया। 

फिर उसने खुद को बोला कि वह कैसे भी करके आज की इस दौड़ को पूरा जरूर करेगा। वो जिद करके वापस उठा और लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा। स्टेडियम में मौजूद सभी दर्शक उसे देखकर बहुत हैरान हो गए!

और आखिरकार सिद्धार्थ, लड़काते हुए अंत में रेस को पूरा कर ही लेता है। माना कि वह रेस हार चुका था! लेकिन आज उसका विश्वास आसमान छू रहा था। क्योंकि आज से पहले वह किसी भी रस को पुरे तरीके से कंप्लीट नहीं कर पता था। 

वह जमीन पर पड़ा हुआ था, क्योंकि उसकी पैरों की मांसपेशियों में बहुत ज्यादा खिंचाव हो चुका था। उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे! लेकिन फिर भी वह बहुत ज्यादा खुश था। इतना खुश था कि मानो उसने जिंदगी में सब कुछ हासिल कर लिया हो। क्योंकि आज वह हार कर भी, जीत गया था।

तो दोस्तों सिद्धार्थ की इस कहानी से हमें यही सीखने को मिलता है: कि अगर आप लगातार बढ़ते हैं और मन में यह विश्वास रखते हैं कि एक न एक दिन मैं अपनी मंजिल तक पहुंच जाऊंगा। तो दुनिया की कोई भी ताकत, आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक पाएगी। 
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